तेज़ी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने बुधवार रात को राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया.
विधानसभा भंग करने का आदेश जारी करते हुए राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने कहा, "मैं क़ानून के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को भंग करता हूँ. मैंने कोई पक्षपात नहीं किया है. जो जनता हक़ में था, मैंने वही फ़ैसला लिया."
राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने कहा कि पीडीपी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और कांग्रेस एक 'अपवित्र गठबंधन' बनाने की कोशिश कर रहे थे.
इससे पहले, बुधवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने पीडीपी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
इस संबंध में महबूबा मुफ़्ती ने बुधवार देर शाम एक पत्र ट्वीट किया था. साथ ही ट्वीट में उन्होंने शिक़ायत की थी कि वो राजभवन को ये पत्र फ़ैक्स के ज़रिए भेजने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन फ़ैक्स राजभवन तक नहीं पहुँच रहा है और फ़ोन पर भी बात नहीं हो पा रही है.
21 नवंबर को राज्यपाल सत्य पाल मलिक को लिखी गई इस चिट्ठी में महबूबा मुफ़्ती ने दावा किया था कि उनके पास नेशनल कॉन्फ़्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों का समर्थन है. 87 सदस्यीय विधानसभा में मुफ़्ती की पार्टी से 29 विधायक हैं.
गुरुवार को महबूबा मुफ़्ती ने राजभवन की फ़ैक्स मशीन का मज़ाक बनाते हुए ट्वीट किया कि कोई पत्र राजभवन नहीं पहुंच रहा है और लोग जवाब के इंतज़ार में हैं.
उमर अब्दुल्ला ने महबूबा के ट्वीट्स को रीट्वीट किया. दोनों ने इस स्थिति का मज़ाक बनाया कि राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने उनके पत्रों को रिसीव करने और उनका जवाब देने की जगह विधानसभा को ही भंग कर दिया.
राज्यपाल का जवाब
गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने प्रेस कॉन्फ़्रेस कर महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला के सभी दावों और आरोपों का जवाब दिया.
उन्होंने कहा:
जिस दिन से मुझे गवर्नर नियुक्त किया गया है, मेरा यही नज़रिया है कि जम्मू-कश्मीर में जोड़तोड़ से सरकार नहीं बननी चाहिए.
मैं चाहता हूँ कि राज्य में चुनाव हों और चुनी हुई सरकार राज्य का संचालन करे.
मुझे बीते 15 दिनों में कई शिक़ायतें मिली थीं कि विधायकों की ख़रीदफ़रोख्त का काम चल रहा है और कुछ विधायकों को धमकाया जा रहा है.
महबूबा मुफ़्ती ख़ुद भी शिक़ायतकर्ताओं में थीं. उन्होंने कहा था कि उनके विधायकों को धमकाया जा रहा है. कुछ अन्य दलों ने कहा था कि वो विधायकों को पैसे देने की तैयारी कर रहे हैं.
मैं अपने रहते राज्य में ये सब नहीं होने दे सकता.
ये वो फ़ोर्सेज़ हैं (पीडीपी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस और कांग्रेस गठबंधन) जो लोकतंत्र को नहीं चाहतीं. इन लोगों ने देखा कि अचानक चीज़ें उनके हाथ से निकल रही हैं तो एक अपवित्र गठबंधन बनाकर मेरे सामने आ गए.
मेरा फ़ैसला किसी के पक्ष में नहीं है. मैंने जो किया वो जम्मू-कश्मीर की जनता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए किया.
रही बात फ़ैक्स की, तो बुधवार को ईद थी. शिक़ायत करने वाले दोनों लोग पक्के मुसलमान हैं जिन्हें ये तो पता होगा ही कि ईद के दिन मेरा दफ़्तर बंद रहता है.
ईद के दिन तो मेरा रसोइया भी छुट्टी पर होता है, ऐसे में मेरे दफ़्तर में फ़ैक्स रिसीव करने वाले आदमी को तो छोड़ ही दें.
और अगर मुझे फ़ैक्स मिल भी गया होता तो भी मेरा फ़ैसला बदलने वाला नहीं था.
ट्विटर मैं इस्तेमाल नहीं करता. कभी ट्वीट नहीं करता. वैसे भी उन्हें पता होना चाहिए कि सरकारें सोशल मीडिया पर बनाई या गिराई नहीं जातीं.
वो इसकी शिक़ायत कोर्ट में करना चाहते हैं तो करें. वो लोग ही पाँच महीने से विधानसभा भंग करने की माँग कर रहे थे.
Thursday, November 22, 2018
Tuesday, November 6, 2018
फ़ैज़ाबाद बना अयोध्या तो क्या बोले लोग
जगहों के नाम बदलने की कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अब उत्तर प्रदेश सरकार ने फ़ैज़ाबाद ज़िले का नाम अयोध्या रख दिया है.
इसकी घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के राम कथा पार्क में चल रहे दीपोत्सव के मौक़े पर की.
इससे पहले यूपी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया था.
दीपोत्सव में योगी आदित्यनाथ ने ये भी घोषणा की कि अयोध्या में राजा दशरथ के नाम पर एक मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा. वहीं, अयोध्या में भगवान श्रीराम एयरपोर्ट का निर्माण किया जाएगा.
हर बार की तरह इस बार भी नाम बदलने का मसला सोशल मीडिया पर छा गया है और लोग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. कुछ लोग चुटीले अंदाज़ में भी इस मसले पर लिख रहे हैं.
सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे किस तरह से लिया पढ़ें इन ट्वीट्स में.
यूजर रोशन राय ने ट्वीट किया है, ''नाम में क्या रखा है: विलियम शेक्सपीयर, नाम में बहुत कुछ रखा है: योगी आदित्यनाथ''
बेला जयसिंघानी ने लिखा है, ''उमराव जान का शहर फ़ैज़ाबाद, जिस पर उर्दू का पहला उपन्यास आधारित है, उसे आयोध्या कर दिया गया. ताक़त का नशा भारत की गंगा जमुना तहज़ीब ख़त्म कर रहा है.''
मणिमुग्ध शर्मा ने ट्वीट किया है, ''क्या उत्तर प्रदेश में एक कामकाजी सरकार है या लोगों ने मनोरंजन के लिए एक कॉमेडी सरकस चुन लिया है?''
उजैर हसन रिज़वी ने ट्वीट किया है, ''योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के रहने वाले हैं उसे बदलकर मुरखपुर कर देना चाहिए. उनके कामों और कोशिशों के लिए एक शहर का नाम उन पर भी होना चाहिए.''
अब तक अयोध्या फ़ैज़ाबाद ज़िले का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब पूरे ज़िले को अयोध्या के नाम से जाना जाएगा.
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी शहर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म हुआ था.
अयोध्या भारत का एक धार्मिक नगर रहा है और यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. अब तक फ़ैज़ाबाद ज़िले का हिस्सा रहे अयोध्या की आबादी 2011 की जनगणना के मुताबिक 55 हज़ार से ज्यादा है.
ये भी पढ़ें:
अयोध्या के लोग भव्य दीपोत्सव के लिए उत्साहित क्यों नहीं हैं?
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हत्या का 19 साल पुराना मामला जिससे परेशान हैं योगी
भैया नाम काहे बदलते हो? बदलना है तो काम बदलो ना!
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
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